श्री राधे वन्दना
रहें प्रियतम सुखी सर्वदा
यही श्री राधा चाह है
प्रियतम सुख हेतु ही जीवन
अपनी नहीं परवाह है
नित्य नित्य रस प्रियतम हेतु
नित्य नवीन उत्कण्ठा है
प्रियतम सुख हेतु जीवन ही
श्री राधा की इच्छा है
नहीं स्वसुख नहीं कामना कोई
प्रियतम को ही समर्पित है
श्री राधिका का सम्पूर्ण अस्तित्व
ही सदैव कृष्णर्पित है
नहीं कोई पृथकता युगल की
प्रेम तत्व का ही स्वरूप् है
नित्य नित्य नवायमान ही
प्रेम लीला अनूप है
वही कृष्ण हैं वही श्री राधा
रसघन मोहन की स्वरूपा हैं
श्री राधा कृष्णप्राणिनी हैं
परम् आह्लादिनी रूपा हैँ
हैँ परम् बीज जगत का कृष्ण
श्री राधा उनका आधार हैँ
बिना राधिका कृष्ण अधूरे
राधिका ही प्रेम विस्तार हैं
सदा प्रेम में नित्य निम्न्जित
रसमोहिनी श्री श्यामा हैँ
गौर वर्ण नित्य नवलनिरूपिणी
श्री कृष्णसिंधु की सुखधामा हैं
नहीं सामर्थ्य किंचित भी कभी
श्री राधा का व्याख्यान करूँ
श्री श्यामा की परम् कृपा है
जो उनका नित्य गुणगान करूँ
जय जय श्री वृषभानु दुलारी की
जय जय श्री कीर्तिदा कुमारी की
जय जय श्री कृष्ण आन्दिनी की
जय जय परम् सुख कंदिनी की
जय जय नित्य सुख स्वरूपिणी की
जय जय रसभावन रूपिणी की
जय जय श्री राधा श्री राधिका की
जय जय श्री कृष्ण आराधिका की
जय जय गौर वर्णी ब्रजेश्वरी की
जय जय नित्य रासेश्वरी की
जय जय प्रियतम प्यारी की
जय जय नवल सुकुमारी की
जय राधिके जय प्रेम स्वरूपिणी
जय राधे जय परम्पराशक्ति स्वरूपिणी
जय श्यामा जय स्वेछाविलासिनी
जय राधे जय दिव्यआह्लादिनी
जय अखिलविश्वविमोहिनी श्री राधे
जय कृष्ण आत्मस्वरूपिणी श्री राधे
जय राधे जय जय श्री राधे
जय राधे जय जय श्री राधे
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