आएंगे मेरे युगल
आएंगे मेरे युगल सखी री
अद्भुत सज कर आएंगे
नीलाम्बर में होंगी प्यारी जू
पीताम्बर लाल जू धराएँगे
हाथ में मुरली मुख पर लाली
मोर पंख मुकुट सजाएंगे
प्यारी होंगीं मेरी श्रृंगार धराए
युगल मन्द मन्द मुस्काएँगे
देखूंगी मैं जी भर युगल को
मेरे नैना भर भर आएँगे
अश्रुओं से ही चरण पखारूँ
युगल मेरे सुख पाएँगे
कहेंगे बाँवरी अब नहीं रोना
देखना मोहे समझाएंगे
पता नहीं सखी मैं राह निहारूँ
कौन घड़ी वो आएँगे
कभी झलक दिखा दें स्वप्न में
निद्रा भी प्रतीक्षा बनाएंगे
धैर्य कहाँ मुझमें शबरी सा
फिर भी कहूँ वो आएँगे
शायद मेरी नहीं है योग्यता
फिर भी प्रतीक्षा आने की
है विश्वास युगल पर अपने
जिनमें करुणा है कृपा बरसाने की
Comments
Post a Comment