मोहना और कहाँ मैं जाऊँ

मोहना !
और कहाँ मैं जाऊँ
छोड़ के आस तुम्हारी प्यारे
कौन संग नेह लगाऊँ
मोहना !
और कहाँ मैं जाऊँ

तुम बिन कौन मेरा प्रियतम
आन मिलो गिरधारी
ऐसे ना मोहे बिसराओ जी
मोहन मैं हूँ तुम्हारी
तुमसे मन की व्यथा कहूँ सब
और किसे बतलाऊँ
मोहना !
और कहाँ मैं जाऊँ

पल पल हिय में पीर उठे है
पिया पिया ही पुकारूँ
हो गए मेरे नयन बाँवरे
तेरी ही राह निहारूँ
कौन घड़ी आवें मेरे मोहन
कब तेरो दरस मैं पाऊँ
मोहना !
और कहाँ मैं जाऊँ

मन व्याकुल मेरा नैन बहें
हिय पीर अति भारी
हृदय में मेरे आन विराजो
क्यों मोहे दीन्हीं बिसारी
हो तुम ही प्रियतम मेरे
कौन द्वारे मैं जाऊँ
मोहना !
और कहाँ मैं जाऊँ
छोड़ के आस तुम्हारी प्यारे
कौन संग नेह लगाऊँ
मोहना !
और कहाँ मैं जाऊँ

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