मोहन

ना मेहन्दी ना भेजी चूड़ी
सूनी मेरी कलाई मोहन

विरह में डोलूं व्याकुल भारी
रैन दिन नैन बहाई मोहन

मांग सिन्दूर हो तेरे नाम का
तुम ही करो भराई मोहन

कहाँ छिपे हो ढून्ढ रही मैं
खेले छिपन छिपाई मोहन

कैसे कहो अब धीर धरूँ मैं
बहुत मन को समझाई मोहन

तेरे बिन मेरा कौन सांवरिया
कर लो प्रेम सगाई मोहन

तेरी हूँ मैं जन्म जन्म से
दी काहे बिसराई मोहन

आओ सांवरिया पीर हरो मेरी
नहीं मैं पलक लगाई मोहन

पिया पिया ही रटती रहूँ मैं
और कछु ना कह पाई मोहन

पीर हिय में उठे पुनः मेरे
रैन दिवस अकुलाई मोहन

लीजो मेरी खबरिया आन जी
बाँवरी पुकार लगाई मोहन

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