तुम्हारा खिलौना मोहन
मोहन
तुम कैसे भी आओ
देखो मैं पहचान लूँगी
तुम क्या क्या बन जाते हो
छिपते हो
तुमको अच्छा लगता छिपना
छलिया हो न
देखो पहचान लूँगी तुमको
जानती हूँ
तुम आओगे
तुम रह नहीं सकते
तुम प्रेम करते हो न
अद्भुत प्रेम
तो कैसे दूर रहोगे
तुम छिपते रहो
मैं ढूंढती रहूँ
जैसे तुम चाहो
खेल लो
हूँ तो खिलौना ही
तुम्हारा खिलौना
मेरे मोहन
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