तेरे दर्द के बिना दर्द न हो

हाय जल जाऊँ या सुलग जाऊँ
तेरे दर्द बिना कोई दर्द ना हो

नहीं दर्द और कोई छू पाए मुझे
कोई और दर्द यूँ बेदर्द ना हो

नहीं निकले मेरी जान कभी
ये दर्द मुझे यूँ सुलगाता रहे

जैसे कोयला हो कोई भट्टी में
हर समय ऐसे ही जलाता रहे

नहीं देखना मेरी और कभी
नहीं कभी मुझपर रहम करना

जो इश्क़ करे ना पत्थर दिल हूँ
नहीं प्यार भरी एक नज़र करना

ऐसा दर्द चीर दे दिल मेरा
पर होंठों से हाय ना निकले

ये दर्द ही मेरी दवा बनी रहे
जितनी सांस आए बस दर्द मिले

हर दम ये दर्द सुलगता रहे
जिंदगी बन जाए दर्द मेरी

देना हो तो दर्द ही दो साहिब
दिल में उठती ही रहे प्यास तेरी

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून