जो चाहो तुम

तुम चाहो तो तुमको चाहना छोड़ दूँ
मेरे जिस्म से धड़कनों के निकल जाने के बाद

अब नहीं रोक सकोगे तुम मुझको इश्क़ करने से
तेरे इश्क़ ने ही मेरी बेताबी बढ़ा दी

कैसे रोक लूँ इन बढ़ती हुई धड़कनों को
हर धड़कन में तुम्हारी ही आहट है

तेरा इश्क़ इस कद्र समा रहा है मुझमें
मुझको मुझ से ही बेखुद किए चला

है नशा और खुमारी है इश्क़ की
देखो बढ़ रही है बेकरारी इश्क़ की
तुम हो मुझको अपने आगोश में लिए हुए
और हम राह में तेरा इंतज़ार किये हुए

ये भी क्या मंजर है इश्क़ का
तेरे आगोश में भी तेरा ही इंतज़ार है

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