व्यर्थ जगत को सार

रे मनवा व्यर्थ जगत को सार
छोड़ दे बन्धन झूठे जगत के
तू बस गोविन्द राधे पुकार
रे मनवा......

जितनी हो स्वासों की पूँजी हरि के नाम लगा ले
छोड़ जगत की चर्चा मनवा गोविन्द के गुण गा ले
यही नाम तेरी पूँजी है सच्ची क्या करना संसार
रे मनवा व्यर्थ जगत को सार
छोड़ दे बन्धन झूठे जगत के
तू बस गोविन्द राधे पुकार

मोह माया ने तुझको घेरा साथी कौन है तेरा
हरि चरणन में ध्यान लगा ना मन में घोर अँधेरा
भक्ति कर गोविन्द चरणों से छोड़ सब विषय विकार
रे मनवा व्यर्थ जगत को सार
छोड़ दे बन्धन झूठे जगत के
तू बस गोविन्द राधे पुकार

मन अपने को कर तू अर्पित हरि रंग रँगवाले
व्यर्थ गवाया समय बहुत है अब तो हरि गुण गा ले
हरि को ही करदे समर्पित तेरी सांसें मिली उधार
रे मनवा व्यर्थ जगत को सार
छोड़ दे बन्धन झूठे जगत के
तू बस गोविन्द राधे पुकार

बहुत हुई तेरी जग की फेरी अपना आप सम्भाल
हरि हरि ही भज ले मन में व्यर्थ पड़ा जंजाल
बार बार नहीं जन्म मिलेगा इसको आज संवार
रे मनवा व्यर्थ जगत को सार
छोड़ दे बन्धन झूठे जगत के
तू बस गोविन्द राधे पुकार

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