है इश्क़ भी तुम्हीं से

है इश्क़ भी तुम्हीं से तुमसे ही हैं गिले
मिलते हो इस तरह क्यों मिलकर भी ना मिले

सब हसरतें मेरी तुझमें ही सिमट गयी
मिला है तेरा दामन तुमसे लिपट गयी
हो साथ ही मेरे तुम चाहे ही हो छिपे
है इश्क़ भी तुम्हीं से .......

छिप कर ही इश्क़ करते ऐसी अदा तेरी
पहचान ही लेती है तुमको नज़र मेरी
होता है एहसास जब होंठ जाते हैं सिले
है इश्क़ भी तुम्हीं से.......

कोई और अब नहीं ही गीत और ग़ज़ल हो तुम
तुम ही हो चारों और अब दिल का महल हो तुम
रहना अब साथ उम्र भर जब तलक दम नहीं निकले
है इश्क़ भी तुम्हीं से........

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