राधा रसेश्वरी
राधे रासेश्वरी कृष्णप्रिया अबहुँ मेरी सुधि लीजो
कर जोरि विनय करूँ श्यामा अबहुँ विलम्ब ना कीजो
तेरे द्वार को तज लाडली और कहाँ मैं जाऊँ
रीझै मेरी बरसाने वारी क्यों मैं और देव मनाऊँ
शरण में लीजो मेरी स्वामिनी मस्तक हाथ धरिजो
राधे रासेश्वरी कृष्णप्रिया अबहुँ मेरी सुधि लीजो
कर जोरि विनय करूँ श्यामा अबहुँ विलम्ब ना कीजो
तेरे चरण पखारूँ स्वामिनी कब तेरे महल बुहारूँ श्यामा
नहीं जानूँ कोई जप तप मैं तुझको ही मैं पुकारूँ श्यामा
निरखो मेरी और लाडली अबहुँ मोहे निज दासी कीजो
राधे रासेश्वरी कृष्णप्रिया अबहुँ मेरी सुधि लीजो
कर जोरि विनय करूँ श्यामा अबहुँ विलम्ब ना कीजो
रसना ये राधा नाम रटे इतनी कृपा कर दो श्यामा
निर्धन हूँ मैं तुम धन मेरा आँचल मेरा भर दो श्यामा
नाम तेरा इक पल ना बिसारूँ श्यामा इतनी कृपा कर दीजो
राधे रासेश्वरी कृष्णप्रिया अबहुँ मेरी सुधि लीजो
कर जोरि विनय करूँ श्यामा अबहुँ विलम्ब ना कीजो
Comments
Post a Comment