आपका नाम

कभी सोचती हूँ आपका नाम लिखूं
सारी दुनिया छोड़ श्यामाश्याम लिखूं

रह जाओ आप मेरे मन को मन्दिर करो
और मैं सांसें सारी आपके नाम करूँ

यही विनती मेरी लाडली लाल से सदा
शीश झुका रहे सदा आपको प्रणाम करूँ

चरण पखारूँ आपके अपने आसुंओं से
सेवा में रहूँ आपकी इतनी कृपा अब कर दो

श्यामाश्याम नहीं मन से भूलूँ कभी
लाडली लाल अब मुझे यही वर दो

चरण पड़ें जहां आपके अपना आँचल फैला दूँ
कोमल चरण मेरे युगल के सेवा मिले सहला दूँ

इतनी कृपा कीजै युगलवर याद सदा मन में रहे
सेवा करूँ निशदिन आपकी जब तक प्राण तन में रहें

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