श्री श्यामा प्यारी

श्री श्यामा प्यारी कबहुँ मोहे अपनी कीजो
श्री राधे प्यारी कबहुँ मोते रीझो

कबहुँ मिले चरण को सेवा कबहुँ मैं चरण पखारूँ
कबहुँ होय अभिलाषा पूर्ण जीवन मेरो संवारुं
यही अभिलाष किशोरी मेरी अबहुँ पूर्ण कीजो
श्री श्यामा प्यारी .......

कबहुँ महलन की बनूँ बुहारिन कबहुँ तेरे महल सजाऊँ
मोहे बुलावे स्वामिनी मेरी इक क्षण भी ना लगाऊँ
सेवा दीजो मोहे लाडली मोहे निज दासी कीजो
श्री श्यामा प्यारी ......

मिल जाए चरण रज श्यामा अपना शीश झुकाऊँ
मोहे भरोसा तेरा लाडली चरण तेरे ही ध्याऊँ
अपने इन कोमल चरणों को मेरे मस्तक पर रख दीजो
श्री श्यामा प्यारी कबहुँ मोहे अपनी कीजो
श्री राधे प्यारी कबहुँ मोते रीझो

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