आज खामोश ही

चलो आज मुझे खामोश ही रहने दो
कहने को भी क्या है पास मेरे
जो तुम होते तो कोई एहसास भी होते
अभी कोई भी नहीं एहसास मेरे

सुना है तुम ख़ामोशी भी समझते हो
मैंने तो बहुत बार पुकारा था तुम्हें
अब मुझे एहसास हुआ है इसका
नहीं आँखों से दिल तक उतारा था तुम्हें

सच कहती हूँ आज बात मेरी मानो
हूँ खतावार नहीं दिल में मेरे जगह कोई
तुम बेवजह ही मुझको चाहते हो कबसे
मेरे पास अब भी नहीं चाहत की वजह कोई

रहने दो मत आओ तुम क्यों गुस्ताखियाँ देखते हो
रहो ना तुम अपने इश्क़ के फितूर में ही
इधर गुस्ताखियाँ हद से बढ़ती जा रहीं
उधर क्यों मोहबतें बढ़ाते हो तुम
देखो मेरे दिल में कोई जगह नहीं तुम्हारी
कहने पर भी नहीं लौट जाते हो तुम

कुछ नहीं तुमको यहां मिलने वाला अभी
ना कोई रंग ना ही खुशबू ना आरज़ू कोई
एक बेरंग सी फीकी सी है दुनिया मेरी
तुम लौट जाओ न रखो यहां जुस्तजू कोई

देखो फिर नहीं कहना मुझे बताया नहीं
हर और से ख़ाली सी बेज़ार सी हूँ मैं
ना तलाशो महबूब कोई रंग ए वफ़ा इधर
नहीं कुछ दे सकूँ बस यूँ ही बेकार सी हूँ मैं

तुम लौट गए
अच्छा हुआ तुम लौट गए
अब जहां भी हो सुकून से होंगें तुम
तुम्हारे सुकून को सोच ही मुझे सुकून हो रहा है
चलो कैसे भी तुम रुखसत तो हुए इस बेहाली से
और तुम जाओ वहां जहां रोज जश्न हो बहारों के
तुम्हें रंगा हुआ देखूं खुशबु से महकता हुआ सा
तुम हो ही सच में आशिक़ गुल ए गुलजारों के

चलो मुबारक हो तुमको तुम्हारी रंगीन सी महफिलें
हम इस दर्द की कोठरी में ही सुकून पा लेंगे
तुम रहो जहां यार मेरे आबाद रहो
हम कुछ यूँ ही दर्द के तराने गा लेंगें
दर्द में जीना हो गया है आदत मेरी अब
दर्द अब तुमसे हम सारे अपने छिपा लेंगें

अच्छा है इश्क़ करने के काबिल नहीं हुई कभी
वरना तुमको भी क्या देती दर्द और रुस्वाई ही
जीने भी आते तुम चन्द पल जो साथ मेरे
तुमको भी उदास कर देती मेरी तन्हाई भी
तुम लौट गए
अच्छा हुआ तुम लौट गए

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून