मोहना सुन लो मन की नाथ

मोहना !
सुन लो मन की नाथ
आन मिलो अब प्रियतम मेरे
रैन दिवस रहूँ अकुलात
मोहना !
सुन लो मन की नाथ

तड़पत रहूँ तेरी याद में मोहन
नित नित तुम्हें पुकारी
राह तकत तेरी नैन बिछाऊँ
नित नित करूँ बुहारी
कब आवें मेरे प्रियतम हाय
कब सुनें मन की बात
मोहना !
सुन लो मन की नाथ

नहीं सुहावे सिंगार सखी मोहे
कछु भी नाहीं सुहावे
दूर देस बसे प्रियतम मेरे
कौन घड़ी घर आवे
सूना मेरे मन का आँगन सखी
तेरी देखूं मैं बाट
मोहना !
सुन लो मन की नाथ

विरह ताप सखी मोहे जलावे
आँसूं अग्न बुझावें
कौन घड़ी पिया आवें सखी री
नैना झर झर जावें
पीर मिटे कब मन की सखी हाय
कबहुँ पिया हो साथ
मोहना !
सुन लो मन की नाथ

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