यूँ ही हम

यूँ ही हम वक़्त बेकार किया करते हैं
तुम्हें भुलाने की कोशिश हज़ार किया करते हैं

कहते हैं अब न हम पुकारेंगे तुमको कभी
नाकाम सी कोशिश बार बार किया करते हैं

जानते हैं तुमने थाम रखा है हमें फिर भी
अपने ही दिल पर इतबार किया करते हैं

सच तो यह है इश्क़ का कतरा भी नहीं मुझमें
क्यों दुहाई दे खुद को शर्मसार किया करते हैं

जानते हैं इश्क़ सच्चा है बस तुम्हारा ही
यूँ ही दिखावा हम सरकार किया करते हैं

नहीं इश्क़ हमको अब न पुकारेंगे कभी
नाकाम सी कोशिश फिर भी हर बार किया करते हैं

सारी हसरतें आकर तुमपर ही तमाम होती हैं
पर हसरत ही हम एक नहीं चार किया करते हैं

हजार ऐब हैं बस एक ही बात सच्ची है
आप हमारे झूठ पर भी ऐतबार किया करते हैं

अब झूठ समझो या सच ही समझ लो
अपनी बेवफाई का हम इक़रार किया करते हैं

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