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गौरनाम जौ पान कियो तो हरिहौं कृपा भई अति भारी
गौर नाम साँचो धन अपनो भूलत बाँवरी जन्म बिगारी
भूल भूल रही जन्मन सौं बाँवरी कबहुँ न गौर उच्चारी
कबहुँ न गौर तोय मीठो लागे कबहुँ न जगति लगै खारी
धिक धिक बाँवरी जीवन सगरौ प्रेम न उपज्यो हिय तेरे
गौरनाम होय धन साँचो मूढ़े बिरथा कीन्हीं जन्म बहुतेरे

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