भजन चटपटी

हरिहौं भजन चटपटी न लागी

बाँवरी पतिता भोगी भारी रहै सदा विषय रस पागी

जन्म जन्म की निद्रा गाढ़ी अबहुँ न बाँवरी जागी

हँसा होतौ तो पीवत सुधा रस रहै विष्ठा पावत कागी

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