होऊँ अवगुण की खान
हरिहौं होऊँ अवगुण की खान
भव रोग लगै रहै भारी कीजौ तुरंत निदान
इतनो होय भरोसो नाथा तुम्हीं हौ मेरौ ठौर
नाम तुम्हारा रटै जिव्हा न देव ध्याऊँ और
तुम नाथ मैं रहूँ अनाथ फिर नाँहिं बनत बात
हरो भव पीड़ा नाथा बाँवरी रहै अकुलात
हरिहौं होऊँ अवगुण की खान
भव रोग लगै रहै भारी कीजौ तुरंत निदान
इतनो होय भरोसो नाथा तुम्हीं हौ मेरौ ठौर
नाम तुम्हारा रटै जिव्हा न देव ध्याऊँ और
तुम नाथ मैं रहूँ अनाथ फिर नाँहिं बनत बात
हरो भव पीड़ा नाथा बाँवरी रहै अकुलात
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