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हरिहौं सगरे भोग छुड़ावो
भजनहीन कंगाल बाँवरी नामधन देय धनवान बनावो
भोग स्वाद न लागै नीको साँचो स्वाद नाम कौ दीजौ
मो निर्बल कौ बल न हरिहौं आपहुँ हाथ बढ़ाय कीजौ
कबहुँ हिय लगै साँची चटपटी कबहुँ बाँवरी हरिरस पावै
कबहुँ उन्मत्त होय हाथ उठाय साँचो नाम हरि कौ गावै
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