हिंडोरा 2
*प्रेम हिंडोरा 2*
सावन की मदमाती ऋतु में अपने प्राणधन श्रीश्यामाश्याम के सुख हेतु आज फिर मंजरियों, किंकरियों ने हिंडोरा सजाय दियो है। सभी सखियों के हृदय में उनके प्राणधन सदैव प्रेम हिंडोरे में झूलते रहवैं , जेई अलियन के हिय को आनँद होय। सखियाँ अलियाँ युगल सुख हेतु सेवा होय जावें तो युगल उनके सुख हेतु नव नव लीला करें।जेई हिंडोरे की रस्सी कोई प्राकृतिक रस्सी न होय री, जेइ तो अलियन हिय को गाढ़ अनुराग सौं सजाया जावै। नित अपने युगल सुख हेतु नव नव श्रृंगार करें, नव नव खेल करें जेई बांवरियाँ।
अपने युगलवर को हिंडोरे पर विराजित कर नव नव क्रीड़ा द्वारा उनकी रसमयी क्रीड़ा को नव नव रूप देना ही अलियन के हिय को सुख होवै। दोऊ सुकुमार, कुँवर कुँवरी अलियन के हिय श्रृंगार को धारण करने को हिंडोरे में विराजित होय गये। तनिक जोर सौं झोटा दे री बाँवरी, जेई कोमल कोमल सुकुमार प्रिया लाल जु के हिय माँहिं भी जेई झोटे को लालच होय री। जेई के सुख को सम्पादन ही तो अलियन के हिय कौ चाव होवै री। जब तक उनका हिय, उनके आभूषण, कटि किंकणी की रून झुन या झोटे सँग न सुनाई दे री , नेक सौं तेज वेग से झोटे को झुलाय दे री।आहा!जेई मधुर मधुर झंकार री, मेरौ हिय भी झँकृत करै री।प्रिया जु का आँचल ऐसो लहराय रह्यौ री, लाल जु के हिय की कौन कहवे। तृषित !!पीवत न अघावें री, अपनी प्राण जीवनी की रूप माधुरी को निहार निहार पीवत न बनै री। बाँवरी ने अपनो बंवरापन नाय छोड्यो री। इतो वेग सौं झोटा देय रही युगल को, की प्यारी सुकुमारी प्रिया जु पुनः पुनः लाल जु को पकरै री।जब तक लाल जी की करावली जेई की कटि किंकणी सँग अठखेली न करै री, जेई बाँवरी पुनः पुनः अपनी अठखेली करती रह्वै री।
झोटे को वेग तेज कर दे री, बाँवरी तेज से हिंडोरा झुलाय रही। नई लीला रचन कु प्यारी जु की चुनर लहराती लहराती पवन सँग उड़ गई री। सभी सखियाँ मन्द मन्द मुस्काई री, का भयौ !!लाल जु के नेत्र तो गढ़ ही गयो री , प्यारी जु के मुख कमल पर , रक्तिम अधरन पर, जेई कौ लालित्य , जेई कौ अनुराग और और गाढ़ होय रह्यौ री। नेत्र अब प्यारी जु के मुख कमल सौं हट फिसलवे लगै री। झोटे कौ वेग थम गयो री, दौऊ नवल नागरी हिंडोरे बैठे निहार रहे री। प्यारी कौ कछु सुधि ही न रहै री कहाँ गई री चुनर उड़ उड़। जेई तो अलियन नव नव खेल रचें री युगल सुख हेतु।लाल जु की अधीरता बढ़ती ही जाय री । अलियाँ छिप छिप जेई की रस भरी बतियाँ सुने री।जेई रस मग्न युगल जोरि की छवि निहारते न बनै री अलियन सौं। बाँवरी प्यारी जु की चुनर उठा कब निहारते निहारते दोऊ कौ ओढाय आई री।दोऊ हिंडोरे में सजे बैठे री, एक ही चुनर में , खोय रह्वै री, रसमत रह्वैं।अलियन के हिय उन्माद को स्पर्श कर युगल हिय कौ उन्माद बढतो जाय री। झूलन देय री प्रेम हिंडोरे माँहिं।
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