करुणा के सिन्धु
करुणा के सिन्धु मेरे निताई दयाल
हिय सम्पति देवै पतितन करै जो निहाल
मांगे न और कछु बस हरि हरि बोल
सब पतितन के जी पाछै रह्यौ डोल
ऐसो कौन दयाल साँचो जो हरि प्रेम लुटावै
निताई निताई नाम भजै सोई गौर प्रेम पावै
करुणा के सिन्धु मेरे निताई दयाल
हिय सम्पति देवै पतितन करै जो निहाल
मांगे न और कछु बस हरि हरि बोल
सब पतितन के जी पाछै रह्यौ डोल
ऐसो कौन दयाल साँचो जो हरि प्रेम लुटावै
निताई निताई नाम भजै सोई गौर प्रेम पावै
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