अबहुँ हिय न छीजै

हरिहौं अबहुँ हिय न छीजै
कौन सौं मुख सौं पुकारूँ नाथा दयानिधि दया कीजै
अपनी ओर देख लजाऊँ हरिहौं जन्मन की पतिता भारी
कबहुँ न लीन्हीं साँचो नाम एकहुँ क्षण क्षण दीन्हीं बिसारी
बिरथा जन्म कीन्हीं बाँवरी रही स्वासा स्वासा खोय
धिक धिक जीवन तेरौ बाँवरी रहै पसु समाना ढोय

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