अवगुण को खान
हरिहौं होऊँ अवगुण कौ खाना
अवगुण देखूँ अवगुण चेतुं हरिहौं आपहुँ करौ निदाना
आपहुँ करौ निदाना हरिहौं नाम की डोर बांध लीजौ
बाँवरी पतिता जन्म जन्म की भारी चरणन दूर न कीजौ
नाम बिना एकै स्वास न आवै हरिहौं ऐसी दसा कब होवै
जन्म जन्म की भव निद्रा गाढ़ी पड़ी मूढ़ा बाँवरी सोवै
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