पकरौ हाथा आप

हरिहौं पकरौ हाथा आप

भजनहीन पतिता फिरै बाँवरी कबहुँ करै नाम कौ जाप

विषय भोग की अग्न जरावै हरिहौं हिय उठै भारी ताप

कबहुँ नाम की चटपटी लागै कबहुँ हिय करै प्रलाप

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