हिय पाथर सौं कठोरा
हरिहौं हिय पाथर सौं कठौरा
भजनहीन की कोऊ गति नाँहिं मिले न कोऊ ठौरा
मिले न कोऊ ठौरा हरिहौं बाँवरी साँचो नाथ बिसराई
अबहुँ देख लजात न कछु मूढ़ा क्षणहुँ नाय सकुचाई
अबहुँ तलफत बाँवरी हरिहौं नित त्रयताप जरावै
भजनहीन हिय पाथर भयौ नाँहिं एकहुँ नाम न गावै
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