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हरिहौं देयो नाम को गान
नाम कथा अमृत सम मीठी कबहुँ होय रसपान
कबहुँ होय रसपान बाँवरी गौरप्रेम हिय उमगावै
दोऊ हाथ उठाय कर बाँवरी नाम हरि हरि गावै
श्रीगौरदास की वाणी मीठी सुन सुन हिय हर्षावै
श्रीगौरनाम की महिमा नीकी जेई बाँवरी चाह्वै

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