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हरिहौं न हाथ छुड़ाय जावो
कौन आसरो छांड कै बाँवरी हरिहौं देहरी कदम बढ़ावो
तुम बिन कौन होय मेरौ नाथा काहे बिलपत राखी द्वारे
पुनि पुनि धावत छांड बाँवरी प्राण धन दिये बिसारे
कौन कौ टेर लगाऊँ नाथा पहले मोय ठौर बतावो
जाने कौ कोऊ बात न कीजौ प्राण लयो पाछै जावो
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