तेरी महिमा अनन्त महान
हरिहौं तेरी महिमा अनन्त महान
बाँवरी मुख राखै न जिव्हा कैसे करे बखान
भक्ति रूप में करै आस्वादन धर नित्य नव रूप
प्रेम कौ ही स्वाद चखे बस यही स्वाद बनै अनूप
भोरी गुजरी का प्रेम मिलित कियो आप हरि पयपान
धन्य धन्य हरि धन्य हरि भक्त रूप भ्यै एको समान
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