देयो भजन कौ दान
हरिहौं देयो भजन कौ दान
बाँवरी हिय न प्रेम उपजै कबहुँ रह्यौ पाषाण समान
कबहुँ हाथ सुमिरनी राखै कबहुँ जिव्हा हरिनाम गान
बाँवरी रह्वै विषय रस पीबत कबहुँ करै नाम रस पान
हरिहौं भजन की चटपटी दीजौ होय भव रोग निदान
भजनहीन भोगी फिरै बाँवरी विनय सुनिये दीजै कान
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