कुछ

[03/08, 22:44] श्रीश्रीगौरांग कृपा: फिर लौट आए तेरी महफ़िल से ख़ाली से हम
हसरतों का बोझ कुछ कम होता तो आते तुम तक
[03/08, 22:46] श्रीश्रीगौरांग कृपा: न कुछ देते चंद अश्क़ ही दे देते
कुछ तो अमानत रहती हमारे पास बाक़ी
[03/08, 22:48] श्रीश्रीगौरांग कृपा: तुम न सही अपनी याद ही दिया करो बस
दिल जलाने का कोई तो सामान हो
[03/08, 22:50] श्रीश्रीगौरांग कृपा: हमने कब हँसने की वजह मांगी कोई
पत्थर सा दिल है न आँख यह रोई
[03/08, 22:55] श्रीश्रीगौरांग कृपा: खामोश भी न किये न बोल पाये हम
आजकल अपने पते से गुमशुदा हैं हम

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