बादलो

तुमसे कुछ दिल की कहूँ
सुनो ए बादलो
आ जाओ ज़रा मेरी आँखों मे ही
बरसो यहीं
रिमझिम रिमझिम
मुद्दत से सूखे इस दिल मे
तपिश भरी है
कभी बरसो तो
कभी इस सूखी भूमि पर नमी हो
कभी कोई बीज फले
फूले
महके
ए बादलो
तुम मेरी हृदय निधि भी छिपाकर रखे हो न
अपने आगोश में
अपनी श्यामलता में
मेरा चाँद
हाँ
मेरा चाँद
मेरा गौरचाँद

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