चाँद कहूं
मैं तुमको कैसे चाँद कह दूँ
चाँद में तो दाग देखा है
तुमको देखा है दिल की नज़रों से
और तुमको बेदाग़ देखा है
मैं तुमको कैसे चाँद कह दूँ
चाँद को कभी छुआ नहीं मैंने
तुमको मैंने रूह से महसूस किया
रूह से छुआ है कभी मैंने
लो तुमको चाँद कह दिया मैंने
चाँद भी अक्सर छिप ही जाता है
तुम भी तो मिलते और छिपते हो
फिर भी दिल तुमको ही चाहता है
लो तुमको चाँद कह दिया मैंने
मैंने तो ईद का चाँद देखा है
तुम कब मिलोगे चाँद बन कर मुझे
ईद के चाँद बन ही मिल जाओ
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