क्यों चिल्मनें हैं साहिब
क्यों चिल्मनें हैं साहिब क्या कसूर है हमारा
ज़रा पर्दा अब हटादो देखूं कोई नज़ारा
क्यों चिल्मनें हैं......
तू ही बता दे मोहन अब और कहाँ जाऊँ
दिल पर लगे जो मेरे किसको जख्म दिखाऊँ
जो तुम नहीं मिले तो फिर कौन है हमारा
क्यों चिल्मनें हैं........
दिल की हरेक धड़कन मोहन तुझे पुकारे
जरा पर्दा तुम हटादो तुमको ज़रा निहारें
इन आँखों में समाये कोई तेरा नज़ारा
क्यों चिल्मनें हैं........
कितनी उम्र है बीती तुझे मिले नहीं सांवरिया
अब तो सुना दो मुझको एक बार ये बाँसुरिया
तेरे बगैर अपना होता नहीं गुज़ारा
क्यों चिल्मनें हैं.......
क्यों चिल्मनें हैं साहिब क्या कसूर है हमारा
ज़रा पर्दा अब हटादो देखूं कोई नज़ारा
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