श्यामा मोरी नवल किशोरी

श्यामा मोरी नवल किशोरी रस बरसाने वारी !
तेरी शरण पड़ी मैं लाडली मोहे काहे बिसारी !!

पद पंकज की सेवा दीजौ श्यामा मैं दासी तिहारी !
तुम ना सुनो तो कौन सुनेगा मन की पीर हमारी !!

इन नैनन में कबहुँ बसेगी कृणामूर्ति तुम्हारी !
और किसी को नहीं कहना कछु श्यामा तोहे पुकारी !!

नित नित प्रीत बढे तेरो लाडली संग मोहन गिरधारी !
मुझको दासी अपनी कीजौ सुनो विनय एक बारी !!

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