कब अंजाम होगा

कब होगा अंजाम मेरी मोहबत का
तू जो चाहे अब मेरे यार करदे

जो तुझको अश्क़ देने किस्मत में मेरी
अब मेरा दामन अश्कों से भर दे

यूँ ना दे कतरा कतरा मौत मुझे
मुझको मेरी मौत की खबर करदे

तेरा इश्क़ ही बने जिंदगी मेरी
अब महबूब मुझे आशिक अपना करदे

नहीं औकात मेरी की तुझसे इश्क़ करूँ
तू ही कुछ मुझपर नज़र ए करम कर दे

कबूल कर मुझको मेरे गुनाह समेत
आज तू फिर से दिलबरी करदे

जानती हूँ तुझको बेहद इश्क़ है मुझसे
आज अपने इश्क़ का इज़हार करदे

तेरी उम्मीद पर ही जिन्दा हूँ साहिब
है कबूल सब जो मेरे यार करदे

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