वजूद

जब से तुम मुझे इश्क़ कर रहे
देखो ये दुनिया हसीन हो गयी
हर किसी में तेरी ही परछाईं मिल रही
आसमां के माफ़िक ये जमीन हो गयी

हर और बिखर रहा तेरा ही इश्क़
हर रूह से मुझे मोहबत हो रही
देखना तुझे और चाहना तुझे ही
यही अब मेरी इबादत हो रही

हाय कितनी मुद्दत तुमसे दूर रही मैं
अफ़सोस मुझे पहले ये एहसास ना मिले
दूर तुम रहे मेरे एहसास से इतने
क्यों तुम कभी मुझे पास ना मिले

हो रहे अब शामिल मुझमें ही इस कदर
मुझे पल पल तेरा एहसास हो रहा
जी रही हूँ मैं तुम्हें तुम जी रहे मुझे
जो दूर था खुदा सा मेरे पास हो रहा

सच तुम्हारे इश्क़ ने क्या क्या कर दिया
लफ्ज़ नहीं मिलते कैसे करूँ शुक्रिया
फिर सोचती की तुम कोई गैर तो नहीं
मुझमें ही थे मुझे मुझसे जुदा किया

अब तुम हो तो मैं यहां मौजूद ही नहीं
बिन तुम्हारे मेरे कोई वजूद भी नहीं
हर शै अब लगती है तुम्हारी भी अपनी
ये जहां मेरा हुआ कोई गैर ही नहीं

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