दुःख
दुःख
देखा जाए तो हमारा वास्तविक दुःख क्या है ? क्या धन सम्पति का आभाव वास्तविक दुःख है ? सांसारिक विषय भोगों का उपलब्ध नहीं होना ये भी दुःख नहीं। धन सम्पति पुत्र परिवार ये सब प्रारब्ध से प्राप्त हैं। जीवन एक अवसर है प्रभु की और से। ऐसा अवसर जो भीतर की यात्रा है । अपने मूल से अलग होना ही हमारा वास्तविक दुःख है ।
हे नाथ !मुझे ये दुःख क्यों अनुभूत नहीं होता ? आपसे पृथक होकर भी मैं प्रसन्न हूँ। मुझे कोई दुःख ही नहीं वरन् ये दुःख तो ऐसा होना चाहिए था जो भीतर तक अतृप्त रखता। क्यों मुझे ऐसा दुःख नहीं हो रहा । मेरे मोहन मेरे कान्हा मुझे अपनी और कब लगाओगे। क्यों मैं इन विषय भोगों में रस पा रही । क्यों मुझे तुमसे अलग होने की पीड़ा नहीं? ये दूरी क्यों मेरे प्राणों को विचलित नहीं कर रही। दो मुझे ये दुःख दो😭😭😭😭😭
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