तुम कहाँ हो श्याम प्यारे
तुम कहाँ हो श्याम मेरे ढूंढे तेरी राधा
अखियाँ बरस रही हैं मोहन अब आ जा
तुम कहाँ हो.......
कोई तो खबर लाओ कब श्याम आएंगे
निष्प्राण हो रही है कब प्राण जायेंगे
कहाँ छिप गए हो मोहन कहाँ है तेरा पता
तुम कहाँ हो........
कबसे राह निहारे नहीं आये श्याम प्यारे
बेचैन सी बड़ी है मोहन ही बस पुकारे
हर किसी से पूछती है मोहन का क्या पता
तुम कहाँ हो .........
रोती बिलखती सी मोहन को ढूंढती है
अपनी खबर नहीं कुछ मोहन को सोचती है
कब आएं श्याम प्यारे छाई है अब घटा
तुम कहाँ हो......
पिया बिन है कोई सावन कुछ नहीं मन को भाये
नहीं मन मानता कुछ कैसे इसे मनायें
ना दिन की सुधि है ना रात का पता
तुम कहाँ हो......
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