पैगाम

आज दिल कहता है कोई पैगाम लिखूं दिल के लहू से
श्याही से लिखे पैगाम तो तुमने पढे नहीं हैं अब तक
चीर दूँ दिल अपना काश ऐसी कोशिश कर जाऊँ
करूँ दूँ बगावत आज खुद के लिए ही
क्यों अपनी मौत का इंतज़ार है अब भी मुझको
क्यों दिल को नश्तर से चुभा रहा तेरा गम
या तो कह दो इश्क़ नहीं किया तुमने मुझसे
फिर मुझे मेरे हालात पर छोड़ दो बाक़ी
गर मोहबत है तो सम्भाल लो अब मुझे
बेहाल सा ये दिल सम्भाले नहीं सम्भलता
हो रहा है तेरी जुदाई का मुझे दर्द बहुत
क्यों रूह से मेरी दर्द नहीं निकलता

😭😭😭😭😭😭😭😭

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून