किशोरी तेरे चरणन की प्रीत

किशोरी तेरे चरणन की प्रीत कब लागे
पड़ा रहा भव निद्रा में कबहुँ मन मेरो जागे

नैनन में तेरो छवि दीखे किसी विधि श्यामा भोरी
मेरे किये अबहुँ कछु ना होवे आप ही कीजौ किशोरी
श्यामा श्यामा नाम रटूं मन ये भिक्षा मांगे
किशोरी तेरे चरणन की प्रीत कब लागे

कब मन सुख नहीं पावै जगत को कब तेरा सुख होए
विषय विकारण सो मन छूटे तेरे लिए ही रोए
तेरे लिए अश्रु ना नैन बहावें हाय मेरे नैन अभागे
किशोरी तेरे चरणन की प्रीत कब लागे

कबहुँ श्यामा श्यामा रह जावे और विषय नहीं भाये
मन तेरा ही नाम रटे बस श्यामा श्यामा गाये
तेरा ही नाम धन हो संचय कब मन विषय त्यागे
किशोरी तेरे चरणन की प्रीत कब लागे
पड़ा रहा भव निद्रा में कबहुँ मन मेरो जागे

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