कौन घड़ी आवे श्यामा
कौन घड़ी आवे श्यामा मोरी रीझै कौन घड़ी मोहे अपनावे !
अबहुँ लाडली दासी तिहारी दिवस रैन भई अकुलावे !!
नैनन सों जल नाही सूखे अपनों ही सुधि ना आवे !
तुम सब जानों स्वामिनी मोरी कौन विधि तोहे बतलावें !!
मन में पीर उठे मेरो भारी हाय लाडली बिसार दियो !
अपने संग नाहीं राख्यो मोहे भव सागर में डार दियौ !!
तुम ही बिगरी बनावन वारी और कौन को पुकारूँ मैं !
अपनी शरण मोहे राखो स्वामिनी तेरो नाम उचारूँ मैं !!
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