बेकरारी इश्क़ की
है आज बड़ी बेकरारी तेरे इश्क़ की
हो गयी है अब खुमारी तेरे इश्क़ की
कहती है दुनिया की खो गयी है तू
क्या खबर किसे है बीमारी इश्क़ की
है दवा वही मेरा रोग है तू
मेरा जप तप मेरा योग है तू
कहाँ खोजूं जाऊँ किस कूचे में
तू शामिल जहां समूचे में
हर शाख पता देती है तेरा
हर डाली यूँ लहराती है
जब भी हवा से मचल जाए
हर शाख ही तू बन जाती है
मुझे लगता है हर और तुम्हीं
मेरी धड़कन का हो शोर तुम्हीं
जो बाहें पसारे बुलाये मुझे
हो साहिब मेरे चितचोर तुम्हीं
एक बात कहो हर शै में तुम आए कैसे
तुम बाहर रहते हो तो मुमकिन ये
फिर मुझमें ही तुम समाए कैसे
अब देखूं तुम्हें या इश्क़ करूँ
है मुश्किल दिल को समझाएं कैसे
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