तुम्हारे बिन जिंदगी
तुम्हारे बिन ज़िन्दगी क्या महबूब मेरे
फ़क़त एक लाश सी है चन्द सांसों के साथ
तुम रूह से कैसे निकल जाओगे मेरी
अपनी नहीं तेरे मोहबत पर यकीन मुझे
हाय तेरा इश्क़ ही मुझमें अब जिन्दा है
यूँ ही सांसों ने आना जाना लगा रखा है
तेरी मोहबत ने मुझे कैद करके रखा है
कमबख्त ये दिल अब किसी का हुआ ही नहीं
मैंने कब कहा की तुझसे इश्क़ किया
ये दिल हामी ही नहीं भरता इतनी
क्यों जान भी छोड़ दी मुझे कत्ल करदो
हाय उधड़ी सी चन्द सांसें जिंदगी नहीं
कहने को मैं लाख कहूँ तुझसे इश्क़ करती हूँ
लब पर एक बार भी नहीं तेरा नाम आया
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