कब् तेरा नाम लिया

हाँ काफिर ही तो हूँ कब मैंने तेरा नाम लिया
और तुम यूँ ही चले आये मुझे पुकारना नहीं आता
ठहर जाओ कान्हा एक बार देख लो अच्छे से
बन्द रख लूँ आँख मैं देखो मुझे निहारना नहीं आता

अब ये ईद भी मेरा ही दिल जला गयी
लोग गले मिल गए और तेरी याद दिला गयी

फिर से महसूस हुआ की तुम कहाँ हो सनम
दिल भी पत्थर सा हो गया नहीं आँख मेरी नम

तुझे जर्रे जर्रे में देखने वाले कमाल के आशिक़ होंगे
और ये काफिर ही तुझसे मोहबत का दम भरते हैँ
जो होता इश्क़ मुझे तू हर और नज़र आता ही
झूठ ही तो है कब तुझसे प्यार सनम करते हैँ

उनका इश्क़ कहाँ लफ़्ज़ों में बांध दूँ बोलो
वो तो खुद इश्क़ में गिरफ्तार होने को बेताब रहते हैँ
ये हवा ये फ़िज़ा हर और है इश्क़ उनका ही
इस नज़र ने पर्दे किये वो बेनकाब रहते हैँ

उनका इश्क़ ही जीने की वजह है
वरना तो साँस भी बेकार में चलती रहती है
देखी है हर और ही किसी ने मोहबत उनकी
ये ही हर और देखो मचलती रहती है

हाय मुझे कब तेरे इश्क़ का दर्द होगा
रहने दे महबूब यूँ न अपनी मोहबतें लुटा
क्या क्या कमाल देखे हैं तेरे इश्क़ के मैंने
फिर भी काफिर हूँ दिल से देती हूँ तुझको भुला

क्यों बहने लगते हो
क्यों इश्क़ मुझसे करते हो
क्यों घुल जाते हो
क्यों मुझमें ही उतरते हो
क्या मैंने कहा मुझे इश्क़ है तुमसे
क्यों तुम दीवानगी की हद तक इश्क़ करते हो

क्या देख लेते हो तुम
क्या इश्क़ करना आदत है तुम्हारी
हाँ तुम रह नहीं पाते एक बार सुनकर ही
और बार बार झूठ कहना फितरत है हमारी

देखो ऐसे इश्क़ नहीं करो तुम
यूँ बेकरार होना भी बात नहीं

मेरा कोई दिन भी नहीं नाम तेरे
मेरी तेरे नाम पर कोई रात नहीं

मेरी रगों में बह रहा है
इश्क़ तेरा
मेरी कलम से कह रहा है
इश्क़ तेरा
जब तुम हो तो मेरी मैं ही मिटा दो मोहन
ये सब मैं नहीं कहती कह रहा
इश्क़ तेरा

क्यों तुमको इश्क़ करने से फुर्सत ही नहीं
और तेरा नाम कभी लूँ मेरी आदत ही नहीं
फिर भी तुम इश्क़ बस इश्क़ किये जाते हो
एक बार आना और लौटना तेरी आदत ही नहीं

हाय तेरा इश्क़ ही रह जाए बस
मुझको इस दुनिया से महबूब और काम ना हो
तू ही बन जाए ज़िन्दगी मेरी सांवरे कभी
तुझको ही पुकारूँ मेरे लब पर कोई नाम ना हो

सच में कहीँ तेरे इश्क़ सा नहीं देखा
बहुत देखा ना कोई तुझसा हसीँ देखा

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