आज तेरे इश्क़ में
आज तेरे इश्क़ में संवरने का दिल करता है
इस जूनून में हद से गुज़रने का दिल करता है
आज तेरे इश्क़ में......
सुनती हूँ धड़कनें भी तेरे दिल की सनम
अब मेरा और ना सुनने को दिल करता है
आज तेरे इश्क़ में......
बात तेरी ही रहे बस लबों पर मेरे
हर घड़ी तेरा ही जिक्र करने को दिल करता है
आज तेरे इश्क़ में ......
तुम भी क्या गज़ब का इश्क़ करते हो
और कौन यहां है जो तुझसा इश्क़ करता है
आज तेरे इश्क़ में.......
गीतों नग्मों में ग़ज़लों में बात तेरी ही
तू ही इनमें इश्क़ बन कर उतरता है
आज तेरे इश्क़ में........
नहीं रूठना मुझसे सनम मेरे तुम कभी
पर ये दिल अपनी गुस्ताखियों से डरता है
आज तेरे इश्क़ में......
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