काश कभी तुझसे इश्क़ होता

काश तुझसे कभी इश्क़ होता मुझे
काश मेरा दिल कभी बेकरार होता
कभी तेरे लिए तड़पती पल पल
काश मुझे तेरा इंतज़ार होता

काश मुझे दर्द होता तेरी जुदाई का
काश मेरे दिल में कोई नश्तर चुभता
काश रूह देती मेरी सदा कभी तुझको
काश दिल तेरे लिए बेज़ार होता

काश ज़िंदा ना होती कभी बिना तेरे
काश एक भी साँस मुझे नहीं आती
क्यों तेरा दर्द नहीं जान लेता मेरी
काश मेरा दिल तेरा ही तलबगार होता

क्यों नहीं उठती कोई लहर तेरे लिए ही
क्यों एक झूठी सी ज़िन्दगी जी ली मैंने
कभी मेरी रूह भी पुकारती तुझे पल भर
काश कभी तेरे आने का इंतज़ार होता

उसी इंतज़ार में काट लेती यूँ ही अपनी ज़िन्दगी
चलो इस रूह को अपना इंतज़ार दे दो
तलब लगा दो कभी अपने इश्क़ वाली इसे
और अपने इश्क़ वाला थोडा सा खुमार दे दो

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