अपना गम लेकर किधर जाऊँ

अपना गम लेके किधर जाऊँ मैं
काश तेरी बाँहों में बिखर जाऊँ मैं

है गम मुझे इश्क़ तुझसे कभी किया ही नहीं
जी लिया दुनिया को तुझको कभी जिया ही नहीं
अब इस दुनिया से हो बेखबर  जाऊँ मैं
अपना गम.......

गम मुझे ये है तुझसे बिछड़ने का दर्द नहीं
क्यों नहीं अश्क़ बहते क्यों ऑंखें ज़र्द नहीं
तू बने आईना और देख संवर जाऊँ मैं
अपना गम........

गम मुझे ये है हर पल क्यों तेरा एहसास नहीं
क्यों लगे दूर मुझे हाय मेरे पास नहीं
ज़िक्र हो तेरा ही बस जिधर जाऊँ मैं
अपना गम.......

गम मुझे ये है मेरा अब वजूद क्यों है
नहीं मैंने इश्क़ किया फिर तू मौजूद क्यों है
आज दिल कहता है तेरी बाँहों में ही मर जाऊँ मैं
अपना गम........

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