कबहुँ राधा नाम धन पायो
बड़े भाग मानुष तन पायो
मुख से राधा नाम ना गायो
क्यों प्यारे सब व्यर्थ गवायो
कबहुँ राधा नाम धन पायो
कबहुँ श्यामा नाम धन पायो
विषयन को रस नित नित पावे
दृष्टि कबहुँ तेरो चरण ना जावे
क्यों मन में अनुराग ना आवे
सकल जीवन ही व्यर्थ बनायो
कबहुँ राधा नाम धन पायो
कबहुँ श्यामा नाम धन पायो
स्वास् स्वास् से नाम सुमिरले
मन अपने को पावन करले
राधा नाम धन संचय करले
बीतो समय पुनः नहीं आयो
कबहुँ राधा नाम धन पायो
कबहुँ श्यामा नाम धन पायो
मोहे चरण सों नेह लगा दो
जग की मोहे सुधि बिसरा दो
निज चरणन की चेरी बना दो
तुम सब निर्धन को अपनायो
कबहुँ राधा नाम धन पायो
कबहुँ श्यामा नाम धन पायो
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