बहती रहे प्रेम रसधार
बहती रहे प्रेम रसधार
नित नित बरसत रस की फुहार
बहती रहे प्रेम रसधार
मनमोहन संग प्रीत लगाई
मुरली सुना जा आजा कन्हाई
मेरे सांवल कृष्ण मुरार
बहती रहे प्रेम रसधार
नित नित बरसो रे मेघा
बरस रह्यो है परम् स्नेहा
खोल तू मन के किवार
बहती रहे प्रेम रसधार
राधा संग मनमोहन कान्हा
दासी सों भी प्रीत निभाना
करूँ युगल चरण मनुहार
बहती रहे प्रेम रसधार
लग्न मोहे अपनी ही लगाना
श्यामा तुम अमृत बरसाना
परम् स्नेही करुणाधार
बहती रहे प्रेम रसधार
बहती रहे प्रेम रसधार
नित नित बरसत रस की फुहार
बहती रहे प्रेम रसधार
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