मोहे अपनी कीजौ श्यामा

मोहे अपनी कीजौ श्यामा अब करो नहीं देरी !
शरण पड़ी तेरी भोरी मोहे कीजौ चरणन चेरी !!

कौन विधि रिझाऊँ तुम्हें नहीं योग्यता कोई मेरी !
पर तुमने कुपात्र सों नज़र कबहुँ ना फेरी !!

श्यामा बहुत दिवस बीते अबहुँ करो नहीं देरी !
भव बन्धन काटो श्यामा मोहे डारी विषयन घेरी !!

मन मन्दिर माँहि आन बसों कबहुँ होय श्यामा पग फेरी !
तेरे दर्शन वारी भोर आवे भई रात अबहुँ बहुतेरी !!

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